चूंकि मैंने हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की थी और लिखने का शौक तो था ही चूंकि मैंने हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की थी और लिखने का शौक त...
शादी के बाद भी उसका मन कुंवारा ही था, किसी के लिए कभी धड़का ही नहीं था..ऐसा क्या था उस अजनबी के स्पर्... शादी के बाद भी उसका मन कुंवारा ही था, किसी के लिए कभी धड़का ही नहीं था..ऐसा क्या ...
"लड़के क्या करते हैं ?" " पैसा कमाते हैं।" " मैं भी बड़ी होकर पैसे कमाऊंगी।" "तुम कै "लड़के क्या करते हैं ?" " पैसा कमाते हैं।" " मैं भी बड़ी होकर पैसे कमाऊंगी...
कभी कभी आत्ममुग्ध होना धीरे धीरे कठोरता और अहम में तब्दील हो जाता है. कभी कभी आत्ममुग्ध होना धीरे धीरे कठोरता और अहम में तब्दील हो जाता है.
ये बात सोलह आने सच है जिस प्रकार माँ के बिना मायका नहीं, सास के बिना ससुराल भी नहीं है। ये बात सोलह आने सच है जिस प्रकार माँ के बिना मायका नहीं, सास के बिना ससुराल भी न...
अतः इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि किसी को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिेए। अतः इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि किसी को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिेए।